आजादी के छह दशक से अधिक समय गुजरने के बावजूद आज भी देश में सबके लिए
शिक्षा एक सपना ही बना हुआ है। देश में भले ही शिक्षा व्यवस्था को
चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद जारी है, लेकिन देश की बड़ी आबादी के गरीबी
रेखा के नीचे गुजर-बसर करने के मद्देनजर सभी लोगों को साक्षर बनाना अभी भी
चुनौती बनी हुई है। ऐसे मे सवाल पैदा होता है कि काहे का बाल दिवस ??? |
एकदम सही कह रहे हैं महाराज , काहे का बाल दिवस । सब आज महज़ औपचारिकता बन कर रह गया है । जिस बचपन के नाम पर आज ये सब किया जा रहा है वो तो इन सबसे कोसों दूर है ।
ReplyDeleteलो जी फिर आ गया 'बाल दिवस' - ब्लॉग बुलेटिन बाल दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं स्वीकार करें ... आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteवर्तमान परिस्थिति में "बाल-दिवस == बाल-दशा-सुधार-दिवस" होना चाहिए |
ReplyDeleteसादर
बाल - दिवस ! सच में काहे का बाल -दिवस ?
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