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Wednesday, August 29, 2012

हमें तो अपनों ने मारा ... गैरो मे कहाँ दम था ...

हमें तो अपनों ने मारा ... गैरो मे कहाँ दम था ...
(एक काँग्रेस सम्मेलन मे अपने नेताओं के चित्र पर जूते चप्पल लगाए बैठे है कुछ कोंग्रेसी, पीछे बैठे दिग्विजय सिंह भी इस चित्र मे दिख रहे है )

7 comments:

  1. हा हा हा हा हा जय हो ,.,.का बात है ..एकदम टिका के मारा है जी । खुद का जूता खुद के सर :) :)

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  2. कांग्रेस की जूती कांग्रेस के सर |

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  3. हा हा.. गजब फ़ोटो है भाई... सब नप गया होगा मैडम जी के आगे..

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  4. अजी डरता कौन है इन काग भगोड़ों से -हमें तो अपनों ने मारा ... गैरो मे कहाँ दम था ...
    (एक काँग्रेस सम्मेलन मे अपने नेताओं के चित्र पर जूते चप्पल लगाए बैठे है कुछ कोंग्रेसी, पीछे बैठे दिग्विजय सिंह भी इस चित्र मे दिख रहे है )इसी मान के अधिकारी हैं ये ...
    Posted by शिवम् मिश्रा at 7:37 PM
    पेंसिल के बारे में एक मजेदार तथ्य यह भी माना जाता है कि एक सामान्य पेंसिल लगभग 45,000 शब्द लिख सकती है। साथ ही एक पेंसिल से लगभग 35 मील लंबी लाइन खींची जा सकती है। पेंसिल से शून्य गुरुत्वाकर्षण में लिखना भी संभव है।
    रोचक तथ्य उपयोगी प्रस्तुति घर बार के लिए बाल गोपाल के लिए .बधाई !

    मंगलवार, 4 सितम्बर 2012
    जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
    जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें

    यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड सुगर आम भाषा में कहें तो शक्कर बहुत बढ़ जाती है .इस रोगात्मक स्थिति में या तो आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हारमोन ही नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है आपका शरीर .

    पैन्क्रिअस या अग्नाशय उदर के पास स्थित एक शरीर अंग है यह एक ऐसा तत्व (हारमोन )उत्पन्न करता है जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है और खाए हुए आहार के पाचन में सहायक होता है .मधुमेह एक मेटाबोलिक विकार है अपचयन सम्बन्धी गडबडी है ,ऑटोइम्यून डिजीज है .

    फिर दोहरा दें इंसुलिन एक हारमोन है जो शर्करा (शक्कर )और स्टार्च (आलू ,चावल ,डबल रोटी जैसे खाद्यों में पाया जाने वाला श्वेत पदार्थ )को ग्लूकोज़ में तबदील कर देता है .यही ग्लूकोज़ ईंधन हैं भोजन है हरेक कोशिका का जो संचरण के ज़रिये उस तक पहुंचता रहता है ..इसी मान के अधिकारी हैं ये ...

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    1. शर्मा जी ,
      नमस्कार !

      आप से अनुरोध है आगे से कृपया पोस्ट पर पोस्ट के संबंध मे ही कमेन्ट दें आप खुद ही देखिये आपने जितना कुछ यहाँ लिखा है क्या उस का इस पोस्ट से कोई मतलब है !?

      ब्लॉग बुलेटिन पर भी आप ऐसा ही करें तो बहुत कृपा होगी ! मैं समझ सकता हूँ बाकी जगहों पर आप शायद ऐसा ही करते आए हो पर हर जगह एक सा माहौल तो जाहिर है होता नहीं है !

      स्नेह बनाएँ रखें!

      सादर

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