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Saturday, November 19, 2011

नन्हें हाथ, भूख को मात

स्कूल जाते बच्चों को देखकर क्या ये मासूम पढ़ना नहीं चाहते होंगे, लेकिन भूख की आग के आगे ठंडे होते अरमान की हकीकत कह रहा है ये नजारा। हाथरस के अलीगढ़ रोड पर थाने गेट के निकट लोहा पीटते ये बच्चे दूर हैं सरकार की हर सुविधा से। फोटो-नवीन कुलश्रेष्ठ

Tuesday, November 8, 2011

नहीं रहे फेजर

नहीं रहे फेजर

यह तस्वीर मुक्केबाज जो फ्रेजर की है, जिन्हें महान मुक्केबाज मुहम्मद अली का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना गया। दो बार हैवीवेट खिताब जीतने वाले फ्रेजर का सोमवार, 7 नवंबर को देर रात निधन हो गया। 67 वर्षीय फ्रेजर लिवर कैंसर से जूझ रहे थे।

मुक्केबाजी

मैच ऑफ द सेंचुरी नाम से मशहूर मुकाबले में यह जो फ्रेजर [बाएं] का वह मुक्का है जिसने रिंग में पहली बार मुहम्मद अली को धूल चटाई थी। 8 मार्च, 1971 को हुए इस मुकाबले को लोग आज भी याद करते हैं। यहां दोनों ही मुक्केबाज पूरी तरह से टूट चुके थे, लेकिन हार मानने को कोई भी तैयार नहीं था।

Sunday, November 6, 2011

अनशन

हटे अफस्पा

नई दिल्ली में शनिवार, 5 नवंबर को जंतर-मंतर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून [अफस्पा] हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। मणिपुर से इस कानून को हटाने की मांग कर रही कवयित्री इरोम चानू शर्मिला की भूख हड़ताल के शनिवार को 11 साल पूरे हो गए।

अनशन

85 वर्षीय पत्‍‌नी चमनी देवी के साथ पेंशन की मांग को लेकर रांची स्थित राजभवन के पास शनिवार, 5 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठे 98 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छेदी राम।

..जरा आंख में भर लो पानी

हमारे सिस्टम में इंसाफ कैसे मिलता है, ये तस्वीर इसकी दर्दनाक बानगी है। अलीगढ़ के हरदुआगंज विद्युत परियोजना के कर्मचारी सोनपाल दो साल तक पेंशन व अन्य भुगतान के लिए चक्कर काटते स्वर्ग सिधार गए। फिर उनकी पुत्रवधू बीना देवी सालभर दौड़ती रहीं। आखिरकार तीन दिन पहले आत्मदाह की घोषणा के साथ वो अनशन पर बैठ गईं। फिर भी, इंसाफ की कहीं कोई उम्मीद न दिखी तो शनिवार को जहर खा लिया। है कोई और, जिसे इंसाफ चाहिए? छाया: गौरीशंकर शर्मा

Wednesday, November 2, 2011

जय हिंद

नई दिल्ली में मंगलवार, 1 नवंबर को आयोजित एक समारोह में महेंद्र सिंह धौनी और निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को टेरीटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल का रैंक प्रदान किया गया। साथ ही, डॉ. दीपक राव को टेरिटोरियल आर्मी में मेजर के पद पर मानद कमीशन दिया गया है। तीनों को यह सम्मान अनुशासन और समर्पण से मिसाल कायम करने के लिए दिया गया है। युवाओं के आदर्श कहे जाने वाले लोगों को सेना इसी तरह से मानद रैंक से सम्मानित करती है, ताकि युवा सैन्य सेवा की तरफ आकर्षित हों।