हमारे समाज का दोग़लापन कैसे दूर हो ? आपने जिस बात को उठाया है, उस पर वाक़ई विचार किया जाना चाहिए। इससे आगे बढ़कर यह भी सोचा जाना चाहिए कि बलात्कार या हत्या के जिन मुजरिमों के लिए कोर्ट सज़ा ए मौत मुक़र्रर करता है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा माफ़ कर दिया जाता है। इसी के साथ समाज को ख़ुद अपने बारे में भी सोचना होगा क्योंकि ये सारे बलात्कारी और हत्यारे इसी समाज में रहते हैं। ऐसी धारणा बन गई है कि सामूहिक नरसंहार और बलात्कार के बाद भी सज़ा से बचना मुश्किल नहीं है अगर यह काम योजनाबद्ध ढंग से किया गया हो। पहले किसी विशेष समुदाय के खि़लाफ़ नफ़रत फैलाई गई हो और उस पर ज़ुल्म करना राष्ट्र के हित में प्रचारित किया गया हो और इसका लाभ किसी राजनीतिक पार्टी को पहुंचना निश्चित हो। ऐसा करने वालों को उनका वर्ग हृदय सम्राट घोषित कर देता है। वे चुनाव जीतते हैं और सरकारें बनाते हैं और बार बार बनाते हैं। देश के बहुत से दंगों के मुल्ज़िम इस बात का सुबूत हैं। राजनैतिक चिंतन, लक्ष्य और संरक्षण के बिना अगर अपराध स्वतः स्फूर्त ढंग से किया गया हो तो एक लड़की से रेप के बाद भी मुजरिम जेल पहुंच जाते हैं जैसा कि दामिनी के केस में देखा जा रहा है। दामिनी पर ज़ुल्म करने वालों के खि़लाफ़ देश और दिल्ली के लोग एकजुट हो गए जबकि सन 1984 के दंगों में ज़िंदा जला दिए गए सिखों के लिए यही लोग कभी एकजुट न हुए। इसी तरह दूसरी और भी बहुत सी घटनाएं हैं। यह इस समाज का दोग़लापन है। इसी वजह से इसका अब तक भला नहीं हो पाया। दूसरों से सुधार और कार्यवाही की अपेक्षा करने वाला समाज अपने आप को ख़ुद कितना और कैसे सुधारता है, असल चुनौती यह है।
दिल्ली गैंगरेप की घटना का बहादुर नौजवान आज जी . न्यूज पर अपने साथ हुए घटना का जिस तरह से बयान दिया है उसे देख सुनकर आत्मा जिस तरह से चित्कारी है उसे शब्दों में दर्शा पाना मुश्किल है ,उन अपराधियों से भी ज्यादा शर्मनाक रेप तो उन आँखों ने किया जो आते-जाते मदद न कर नग्नावस्था में देखकर ऑंखें फेरकर चले गए \पुलिश वालों की करतूत तो और भी अक्षम्य है यदि वे विवादों में न उलझते तो आज वो बच्ची आज दुनिया के सामने होती \ उन तीन पी .सी .आर वैन के पुलिश कर्मियों को भी सजा होनी चाहिए \उस बच्चे की जबां से दर्द भरी दास्तान सुनने के बाद शायद लोगों की आँखें जरुर भींगी होंगी \आक्रोश की ऐसी आग धधक रही है कि वो दरिन्दे अभी मिल जायें और उनकी भी खातिरदारी तड़पा-तड़पा कर की जाय \पुलिश वालों की लापरवाही पर भी केस चले ,कैसे संवेदनहीन हो गए थे ,बच्चे की सिहरा देने वाली बातों ने अन्दर तक झकझोर दिया है ऊफ ऐसा भी होता है ,ईन्सानियत को शर्मसार करने वाली दास्तान ,जब मुझे सुनना असहनीय हो रहा है तो जिसके साथ यह हादसा हुआ उस क्षण उस पर क्या बीती होगी होगी \
Shail Singh December 31, 2012 at 10:45pm · नए वर्ष के लिए क्या मांगूं आत्मा बहुत ही दुखी है जब पूरा देश अपनी बेटी के लिए शोक संतप्त है तो इस सम्बन्ध में बस यही निवेदन ....... एक बात मैं सम्पूर्ण देशवासियों से कहना चाहती हूँ इसे अवश्य शेयर करें/ आजकल विभिन्न न्यूज चैनलों पर जो कुछ सुनाया या दिखाया जा रहा है वह किसके लिए है,समाज में जो सभ्य लोग हैं उनका यह काम नहीं है यह घटिया किस्म के लोग हैं जिनपर थूकने का भी मन न करे \यह आवाज उन घिनौने इंसानों तक नहीं पहुँच रही,मैं चाहती हूँ हर मनोरंजक चैनलों पर भी विज्ञापन की जगह समाचार दिखाया जाय क्योंकि बहुत से लोग नाटक,सीरियल के सिवा और कुछ नहीं देखते मैंने कितने लोगों से इस बाबत पूछा आश्चर्य हुआ कितने भद्र महिला,पुरुष बच्चों तक को देश में क्या हो रहा है नहीं पता \बसों में स्टेशनों पर डाक्टरों की क्लीनिकों पर जो भी सार्वजनिक जगहें हैं,जहाँ भी टी .वी . की व्यवस्था है केवल समाचार दिखाया जाय ताकि आम जनता तक भी देश की सरगर्मियों की खबर हो और उन्हें भी पता हो की किसी भी अपराध का क्या हश्र होगा कम से कम समाचारों के माध्यम से उन्हें ज्ञात तो होगा \जिनके लिए ,जिस घिनौनी प्रवृति के लोगों के लिए आज पूरा देश एकजुट है उन तक ये आवाज कभी भी नहीं पंहुचेगी क्योंकि उनके घरों में टेलीविजन नहीं है वो पेपर नही पढ़ते वो बहुत गिरे हुये स्तर के लोग हैं \ मेरे इस सुझाव पर भी अमल किया जाय \ एक बात और कहना चाहूंगी ,यदि कोई मां,बहन बेटी अपनी इच्छानुसार किसी के साथ घूम,टहल रही है तो इसका मतलब यह नहीं की वह पब्लिक प्रोपर्टी है और कोई इसका अनुचित फायदा उठाये \ लोगों को अपनी आँखों का चश्मा बदल लेना चाहिए \
बस उसी दिन नव वर्ष की खुशियाँ सुकून पायेंगी
ReplyDeleteजब इंसाफ़ की फ़सल लहलहायेगी
और हर बेटी के मुख से डर की स्याही मिट जायेगी
:-/
ReplyDeleteसच कहा आपने शिवम भाई , अब तो भारत को जागना ही होगा
ReplyDeleteहमारे समाज का दोग़लापन कैसे दूर हो ?
ReplyDeleteआपने जिस बात को उठाया है, उस पर वाक़ई विचार किया जाना चाहिए। इससे आगे बढ़कर यह भी सोचा जाना चाहिए कि बलात्कार या हत्या के जिन मुजरिमों के लिए कोर्ट सज़ा ए मौत मुक़र्रर करता है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा माफ़ कर दिया जाता है। इसी के साथ समाज को ख़ुद अपने बारे में भी सोचना होगा क्योंकि ये सारे बलात्कारी और हत्यारे इसी समाज में रहते हैं।
ऐसी धारणा बन गई है कि सामूहिक नरसंहार और बलात्कार के बाद भी सज़ा से बचना मुश्किल नहीं है अगर यह काम योजनाबद्ध ढंग से किया गया हो। पहले किसी विशेष समुदाय के खि़लाफ़ नफ़रत फैलाई गई हो और उस पर ज़ुल्म करना राष्ट्र के हित में प्रचारित किया गया हो और इसका लाभ किसी राजनीतिक पार्टी को पहुंचना निश्चित हो। ऐसा करने वालों को उनका वर्ग हृदय सम्राट घोषित कर देता है। वे चुनाव जीतते हैं और सरकारें बनाते हैं और बार बार बनाते हैं। देश के बहुत से दंगों के मुल्ज़िम इस बात का सुबूत हैं। राजनैतिक चिंतन, लक्ष्य और संरक्षण के बिना अगर अपराध स्वतः स्फूर्त ढंग से किया गया हो तो एक लड़की से रेप के बाद भी मुजरिम जेल पहुंच जाते हैं जैसा कि दामिनी के केस में देखा जा रहा है।
दामिनी पर ज़ुल्म करने वालों के खि़लाफ़ देश और दिल्ली के लोग एकजुट हो गए जबकि सन 1984 के दंगों में ज़िंदा जला दिए गए सिखों के लिए यही लोग कभी एकजुट न हुए। इसी तरह दूसरी और भी बहुत सी घटनाएं हैं। यह इस समाज का दोग़लापन है। इसी वजह से इसका अब तक भला नहीं हो पाया। दूसरों से सुधार और कार्यवाही की अपेक्षा करने वाला समाज अपने आप को ख़ुद कितना और कैसे सुधारता है, असल चुनौती यह है।
परिवर्तन की बयार बहने दो...
ReplyDeleteरुको थोड़ा.... वक्त को भी कुछ कहने दो
FRIDAY, JANUARY 4, 2013
Deleteसच्चा बयान
दिल्ली गैंगरेप की घटना का बहादुर नौजवान आज जी . न्यूज पर अपने साथ हुए घटना का जिस तरह से बयान दिया है उसे देख सुनकर आत्मा जिस तरह से चित्कारी है उसे शब्दों में दर्शा पाना मुश्किल है ,उन अपराधियों से भी ज्यादा शर्मनाक रेप तो उन आँखों ने किया जो आते-जाते मदद न कर नग्नावस्था में देखकर ऑंखें फेरकर चले गए \पुलिश वालों की करतूत तो और भी अक्षम्य है यदि वे विवादों में न उलझते तो आज वो बच्ची आज दुनिया के सामने होती \ उन तीन पी .सी .आर वैन के पुलिश कर्मियों को भी सजा होनी चाहिए \उस बच्चे की जबां से दर्द भरी दास्तान सुनने के बाद शायद लोगों की आँखें जरुर भींगी होंगी \आक्रोश की ऐसी आग धधक रही है कि वो दरिन्दे अभी मिल जायें और उनकी भी खातिरदारी तड़पा-तड़पा कर की जाय \पुलिश वालों की लापरवाही पर भी केस चले ,कैसे संवेदनहीन हो गए थे ,बच्चे की सिहरा देने वाली बातों ने अन्दर तक झकझोर दिया है ऊफ ऐसा भी होता है ,ईन्सानियत को शर्मसार करने वाली दास्तान ,जब मुझे सुनना असहनीय हो रहा है तो जिसके साथ यह हादसा हुआ उस क्षण उस पर क्या बीती होगी होगी \
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DeleteShail Singh
December 31, 2012 at 10:45pm ·
नए वर्ष के लिए क्या मांगूं आत्मा बहुत ही दुखी है जब पूरा देश अपनी बेटी के लिए शोक संतप्त है तो इस सम्बन्ध में बस यही निवेदन .......
एक बात मैं सम्पूर्ण देशवासियों से कहना चाहती हूँ इसे अवश्य शेयर करें/ आजकल विभिन्न न्यूज चैनलों पर जो कुछ सुनाया या दिखाया जा रहा है वह किसके लिए है,समाज में जो सभ्य लोग हैं उनका यह काम नहीं है यह घटिया किस्म के लोग हैं जिनपर थूकने का भी मन न करे \यह आवाज उन घिनौने इंसानों तक नहीं पहुँच रही,मैं चाहती हूँ हर मनोरंजक चैनलों पर भी विज्ञापन की जगह समाचार दिखाया जाय क्योंकि बहुत से लोग नाटक,सीरियल के सिवा और कुछ नहीं देखते मैंने कितने लोगों से इस बाबत पूछा आश्चर्य हुआ कितने भद्र महिला,पुरुष बच्चों तक को देश में क्या हो रहा है नहीं पता \बसों में स्टेशनों पर डाक्टरों की क्लीनिकों पर जो भी सार्वजनिक जगहें हैं,जहाँ भी टी .वी . की व्यवस्था है केवल समाचार दिखाया जाय ताकि आम जनता तक भी देश की सरगर्मियों की खबर हो और उन्हें भी पता हो की किसी भी अपराध का क्या हश्र होगा कम से कम समाचारों के माध्यम से उन्हें ज्ञात तो होगा \जिनके लिए ,जिस घिनौनी प्रवृति के लोगों के लिए आज पूरा देश एकजुट है उन तक ये आवाज कभी भी नहीं पंहुचेगी क्योंकि उनके घरों में टेलीविजन नहीं है वो पेपर नही पढ़ते वो बहुत गिरे हुये स्तर के लोग हैं \ मेरे इस सुझाव पर भी अमल किया जाय \
एक बात और कहना चाहूंगी ,यदि कोई मां,बहन बेटी अपनी इच्छानुसार किसी के साथ घूम,टहल रही है तो इसका मतलब यह नहीं की वह पब्लिक प्रोपर्टी है और कोई इसका अनुचित फायदा उठाये \ लोगों को अपनी आँखों का चश्मा बदल लेना चाहिए \
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